अंतरा भाग 2 – कक्षा 12 के लिए हिंदी (ऐच्छिक) पाठ्यपुस्तक story खंड – पाठ-12
यह खंड पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी की जीवन यात्रा, उनकी बहुभाषाविदा प्रतिभा, प्रमुख कृतियाँ और उनके द्वारा हिंदी जगत को दी गई तीन मुख्य कहानियाँ प्रस्तुत करता है।
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पाठ-1 – फणीश्वरनाथ रेणु: लौफनिक - हिंदी साहित्य अध्याय अल्टीमेट स्टडी गाइड 2025
पाठ-1 – फणीश्वरनाथ रेणु: लौफनिक
हिंदी साहित्य अध्याय: पूर्ण सारांश, जीवनी, कहानी, प्रश्न-उत्तर | एनसीईआरटी कक्षा 12 अंतरा भाग 2 नोट्स, उदाहरण, क्विज़ 2025
पूर्ण अध्याय सारांश एवं विस्तृत नोट्स - फणीश्वरनाथ रेणु हिंदी एनसीईआरटी कक्षा 12 अंतरा भाग 2
यह अध्याय फणीश्वरनाथ रेणु की प्रसिद्ध कहानी 'लौफनिक' पर आधारित है। कहानी ग्रामीण जीवन, सामाजिक परिवर्तन और मानवीय संवेदनाओं का चित्रण करती है। अध्याय में लेखक की जीवनी, कहानी का सार, विश्लेषण, प्रश्न-अभ्यास, योग्यता-विस्तार और शब्दार्थ शामिल हैं।
अध्याय का उद्देश्य
फणीश्वरनाथ रेणु की जीवनी समझना।
कहानी का भावार्थ और साहित्यिक महत्व।
ग्रामीण भारत के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों का विश्लेषण।
मुख्य बिंदु
रेणु जी आंचलिक कथा के जनक हैं।
कहानी: लौफनिक (लोकगीत गाने वाला) का जीवन और संघर्ष।
थीम्स: परिवर्तन, नारी दुख, सामाजिक अन्याय।
भाषा: ग्रामीण लोकभाषा का प्रयोग।
फणीश्वरनाथ रेणु की जीवनी - पूर्ण विवरण
जन्म: 1921, औराही हिंगना गाँव, बिहार (अब काँटी, मुजफ्फरपुर) में।
मृत्यु: 1977।
शिक्षा: पटना विश्वविद्यालय से स्नातक। स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय।
व्यक्तित्व: प्रगतिशील विचारों के समर्थक, ग्रामीण जीवन के प्रेमी।
साहित्यिक योगदान: आंचलिक कथा के पितामह। मैत्रेयी, परती परिकथा, कथा-जुग-सिंहा जैसी रचनाएँ। लोकभाषा का प्रयोग।
प्रमुख रचनाएँ:
उपन्यास: मैत्रेयी (1953), परती परिकथा (1957)।
कहानी संग्रह: ठुमरी, बिसात, वक्ष, पंचलाइट।
निबंध: रेणु रचनावली।
विशेष: 'लौफनिक' ग्रामीण संवादों और सामाजिक परिवर्तन का सुंदर चित्रण।
टिप: जीवनी को बिंदुवार पढ़कर याद करें। आंचलिकता पर फोकस।
लौफनिक कहानी - पूर्ण पाठ एवं सार
कहानी का सार: लौफनिक (गुणधर) एक लोकगीत गाने वाला है जो गाँवों में संदेश पहुँचाता है। कहानी में बूढ़ी गोसीन (बड़ी बहू) के दुख और सामाजिक परिवर्तन का चित्रण है। गुणधर संदेश पहुँचाने जाता है लेकिन अंत में भावुक हो जाता है।
मुख्य अंश (संक्षिप्त):
प्रारंभ: गुणधर को संदेश मिलता है, लेकिन आधुनिकता के कारण उसका पेशा संकट में।
मध्य: बड़ी गोसीन का दुख: भाइयों का शहर जाना, विधवा जीवन।
अंत: गुणधर संदेश पहुँचाता है, लेकिन भावुकता से सत्य छिपाता है।
पूर्ण पाठ (संक्षिप्त उदाहरण):
"गुणधर को वर्तमान गाया! तो आज भी किसी को लौफनिक की जरूरत पड़ सकती है। इस समय में जबकि गाँव-गाँव में डाकखाने खुल गए हैं, लौफनिक का मुंशी कौन भेजेगा? आज तो आदमी घर बैठे ही तार तक भेज सकता है और वहाँ का जवाब मौखिक संवाद मंगवा सकता है। फिर उसकी चूक क्यों हुई?"
लौफनिक कहानी विश्लेषण
भावार्थ
ग्रामीण जीवन का परिवर्तन: डाकखाने vs लौफनिक।
नारी दुख: बड़ी गोसीन की विधवा पीड़ा।
मानवीय संवेदना: गुणधर का भावुक होना।
शिल्प
भाषा: लोकभाषा, संवाद प्रधान।
अलंकार: उपमा (नदी की तरह बहता दुख)।
थीम: सामाजिक परिवर्तन और मानवीय संबंध।
प्रश्न-अभ्यास - एनसीईआरटी समीक्षा
1- लौफनिक की क्या विशेषताएँ हैं और गाँववालों के मन में लौफनिक की क्या धारणा है?
उत्तर:
विशेषताएँ: संदेश पहुँचाने वाला, लोकगीत गाता।
धारणा: विश्वसनीय, लेकिन आधुनिकता से संकट।
2- बड़ी गोसीन से चूक आने पर गुणधर के मन में कैसी उद्विग्नता हुई?
उत्तर:
उद्विग्नता: संदेश न पहुँचाने का अपराधबोध।
10- 'फिल्मी बैंड' के निकट लौफनिक की क्या कोई भूमिका हो सकती है?
उत्तर:
हो सकती: सांस्कृतिक संरक्षण में।
योग्यता-विस्तार - व्यावहारिक अभ्यास
1- लौफनिक की भूमिका
यदि आपको लौफनिक की भूमिका मिले तो क्या करेंगे?
2- नाटकीय प्रस्तुति
कहानी का नाटकीय रूपांतरण स्कूल स्टेज पर प्रस्तुत करें।