अंतरा भाग 2 – कक्षा 12 के लिए हिंदी (ऐच्छिक) की पाठ्यपुस्तक काव्य खंड – तुलसीदास: (क) भरत-राम का प्रेम, (ख) पद
कक्षा 12 हिंदी (ऐच्छिक) की पाठ्यपुस्तक अंतरा भाग 2 के काव्य खंड में शामिल तुलसीदास की कविताओं भरत-राम का प्रेम और पद का विस्तृत सारांश, व्याख्या, प्रश्न और उत्तर।
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पाठ-6 – तुलसीदास: भारत-राम का प्रेम
हिंदी साहित्य अध्याय: पूर्ण सारांश, जीवनी, कविताएँ, प्रश्न-उत्तर | एनसीईआरटी कक्षा 12 अंतरा भाग 2 नोट्स, उदाहरण, क्विज़ 2025
पूर्ण अध्याय सारांश एवं विस्तृत नोट्स - तुलसीदास हिंदी एनसीईआरटी कक्षा 12 अंतरा भाग 2
यह अध्याय तुलसीदास की जीवनी और उनके प्रमुख ग्रंथों रामचरितमानस तथा विनय पत्रिका से ली गई कविताओं पर आधारित है। इन कविताओं के माध्यम से भारत-राम के प्रेम, मातृभक्ति और भक्ति भाव का चित्रण किया गया है। अध्याय में कवि की जीवनी, कविताओं का विश्लेषण, प्रश्न-अभ्यास, योग्यता-विस्तार और शब्दार्थ शामिल हैं।
अध्याय का उद्देश्य
- तुलसीदास की जीवनी समझना।
- कविताओं का भावार्थ और साहित्यिक महत्व।
- भक्ति और पारिवारिक प्रेम के चित्रण का विश्लेषण।
मुख्य बिंदु
- तुलसीदास भक्ति काव्य के प्रमुख कवि हैं।
- कविताएँ रामचरितमानस और विनय पत्रिका से ली गई हैं।
- भारत-राम प्रेम: मातृ-भक्ति और वनवास का दुख।
- कौशल्या का शोक: राम के प्रति ममता।
तुलसीदास की जीवनी - पूर्ण विवरण
- जन्म: 1532-1623, राजापुर ग्राम (सोरों जनपद) में। कुछ विद्वान काशी या त्रिपुरा को जन्मस्थान मानते हैं।
- प्रारंभिक जीवन: बाल्यावस्था में माता-पिता से वियोग; दादा द्वारा पालन।
- विवाह: रत्नावली से, लेकिन पत्नी के उपदेश से वैराग्य प्राप्ति।
- साधना: काशी में रामभक्ति का मार्ग अपनाया। 1574 में विनय पत्रिका की रचना प्रारंभ।
- व्यक्तित्व: लोकभाषा (अवधी-ब्रज) के कवि; भक्ति, लोकमंगल और रामकथा के प्रचारक।
- साहित्यिक योगदान: रामचरितमानस (महाकाव्य), विनय पत्रिका, दोहावली, कवितावली, रामलला नहछू। भाषा सरल, भावपूर्ण।
- प्रमुख रचनाएँ:
- महाकाव्य: रामचरितमानस (दोहा-चौपाई छंद)।
- भक्ति ग्रंथ: विनय पत्रिका (पदावली), दोहावली।
- अन्य: कवितावली, गीतावली।
- विशेष: रामचरितमानस अवधी में; लोकप्रियता का कारण सरलता और भक्ति। काशी में देहांत।
टिप: जीवनी को बिंदुवार पढ़कर आसानी से याद करें। प्रमुख रचनाओं की सूची बनाएँ और भक्ति थीम को समझें।
रामचरितमानस से कविताएँ - पूर्ण पाठ एवं व्याख्या
भारत-राम का प्रेम
इहि विधि लखि मतकि हृदय बकनी। दीन बंधु दुखहि हरन रघुनाथजी॥
सुनि हरषि भरतु कहि गए किनरि। तात नाहि मोहि कछु दुखु नहि भारी॥
एहि अवसर सप्रेम सनेह निज भाइ। भोरि नयनि जल अति शोक संजाइ॥
कहि गए किनरि तात नाहि मोहि कछु दुखु नहि भारी॥
बंध-वार व्याख्या
प्रथम बंध:
इहि विधि लखि मतकि हृदय बकनी। दीन बंधु दुखहि हरन रघुनाथजी॥
व्याख्या: भारत राम के वस्त्र देखकर हृदय में माता की पीड़ा अनुभव करता है। राम दुख हरने वाले हैं। भाई-प्रेम और मातृ-भक्ति।
द्वितीय बंध:
सुनि हरषि भरतु कहि गए किनरि। तात नाहि मोहि कछु दुखु नहि भारी॥
व्याख्या: भारत प्रसन्न होकर कहता है कि उसे कोई दुख नहीं। कर्तव्य-भाव।
समग्र विश्लेषण
- भाव: भ्रातृ-प्रेम, मातृ-शोक।
- शिल्प: दोहा-चौपाई; अलंकार (अनुप्रास)।
- थीम: राम-भक्ति; पारिवारिक बंधन।
विनय पत्रिका से कविताएँ - पूर्ण पाठ एवं व्याख्या
(1) कौसल्या बोलि उठी मन अनुपम। कहि गए किनरि तात नाहि मोहि कछु दुखु नहि भारी॥
एहि अवसर सप्रेम सनेह निज भाइ। भोरि नयनि जल अति शोक संजाइ॥
कहि गए किनरि तात नाहि मोहि कछु दुखु नहि भारी॥
(2) जय जय रघुनायक हरि हरि हिय हरषि। भोरि नयनि जल अति शोक संजाइ॥
बंध-वार व्याख्या
प्रथम बंध:
कौसल्या बोलि उठी मन अनुपम। कहि गए किनरि तात नाहि मोहि कछु दुखु नहि भारी॥
व्याख्या: कौसल्या शोक में उठीं; राम के वनवास पर दुखी। मातृ-प्रेम।
द्वितीय बंध:
जय जय रघुनायक हरि हरि हिय हरषि। भोरि नयनि जल अति शोक संजाइ॥
व्याख्या: कौसल्या राम की स्तुति करती हैं; शोक और भक्ति का मिश्रण।
समग्र विश्लेषण
- भाव: मातृ-भक्ति, विनय।
- शिल्प: पदावली; भावपूर्ण भाषा।
- थीम: राम के प्रति समर्पण।
प्रश्न-अभ्यास - एनसीईआरटी समीक्षा
भारत-राम का प्रेम
1- "^gkjsagq [ksy ftrko¯g eksgh*" भारत के इस कथन का क्या अभिप्राय है?
- राम के साथ खेलना कभी न भूलने वाला।
- भ्रातृ-प्रेम की स्मृति।
2- "^eSa tkum¡ fut ukFk lqHkkmQA*" में राम के स्वभाव की किन विशेषताओं की ओर संकेत किया गया है?
- प्रेमपूर्ण, सहयोगी।
- माता के प्रति आदर।
3- राम के प्रति अपने भक्तिपूर्ण भाव को भारत किस प्रकार व्यक्त करते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- खेल-स्मृति से; प्रेम-वर्णन।
4- "^egha ldy vujFk dj ewyk*" पंक्ति द्वारा भारत के विचारों-भावों का स्पष्टीकरण कीजिए।
- माता के दुख को अपना समझना।
- सहानुभूति।
5- "^iQjb fd dksno ckfy lqlkyhA eqoQrk izlo fd lacqd dkyh.A*" पंक्ति में निहित भाव और अलंकार स्पष्ट कीजिए।
- भाव: मातृ-शोक।
- अलंकार: उपमा।
विनय पत्रिका से
1- राम के वन-वास के बाद उनकी वस्तुओं को देखकर माता कौशल्या का क्या अनुभव करती हैं? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
- गहन शोक; वस्त्र देखकर रोना।
2- "^jfg pfd fp=kfy[kh lh*" पंक्ति का अर्थ अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
- चित्र की भाँति स्मृति।
3- विनय पत्रिका से ली गई कविता "^jk?kkS ,d ckj fiQfj vkokS*" में निहित द्वंद्व और विनय को अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
- द्वंद्व: शोक-भक्ति।
- विनय: समर्पण।
4- (अ) श्रृंगार वर्णन के दो उदाहरण लिखिए। (ब) उत्कंठा वर्णन का प्रयोग कहाँ और क्यों किया गया है? उदाहरण सहित उल्लेख कीजिए।
- (अ) उदाहरण: नयनि जल, हृदय शोक।
- (ब) शोक व्यक्त करने के लिए; उदाहरण: वस्त्र दर्शन।
5- प्रस्तुत पदों के आधार पर प्रतिपादित कीजिए कि तुलसीदास का भाषा पर पूर्ण अधिकार था?
- अवधी-ब्रज मिश्रण; भावपूर्ण।
- सरलता और गहनता।
योग्यता-विस्तार - व्यावहारिक अभ्यास
1- "अनुराग युक्तिसे मुक्ति रति तथा भक्ति प्रसव से होती है" को संदर्भ में रखकर इस कथन की पुष्टि कीजिए।
- भक्ति-मार्ग पर चर्चा।
2- भरत के बंधन तथा रति के अन्य रूपों को भी पढ़िए।
- रामचरितमानस से उदाहरण।
3- वर्तमान के संदर्भ में राम और भरत जैसा अनन्य प्रेम क्या संभव है? अपनी राय लिखिए।
- निबंध लेखन।
शब्दार्थ एवं टिप्पणियाँ - पूर्ण शब्दकोष
- बकनी - माता
- दीनबंधु - दुखियों के बंधु
- किनरि - कौशल्या
- हरषि - प्रसन्न होकर
- बकनी - बोलकर
- सप्रेम - प्रेमपूर्ण
- सनेह - स्नेह
- भोरि - भरकर
- नयनि - नेत्र
- जल - आंसू
- शोक - दुख
- संजाइ - संजोया
- तात - पुत्र
- मोहि - मुझे
- कछु - कुछ
- भारी - गहन
- अनुपम - अनुपम
- रघुनाथजी - राम
- दुखहि - दुख को
- हरन - हरने वाले
- एहि - इस
- अवसर - समय
- निज - अपना
- भाइ - भाई
- अति - बहुत
- मान - मन
- हृदय - हृदय
- बकनी - वाणी
- दीन - दीन
- बंधु - बंधु
- सुनि - सुनकर
- भरतु - भरत
- कहि - कहकर
- गए - गए
- नाहि - नहीं
- दुखु - दुख
- नहि - नहीं
- अनुराग - प्रेम
- युक्ति - बंधन
- मुक्ति - मुक्ति
- रति - प्रेम
- भक्ति - भक्ति
- प्रसव - जन्म
- होति - होती
- है - है
- बकनी - बोलना
- उठी - उठी
- मान - मन
- अनुपम - अनुपम
- कहि - कहकर
- गए - गए
- किनरि - कौशल्या
- तात - पुत्र
- नाहि - नहीं
- मोहि - मुझे
- कछु - कुछ
- दुखु - दुख
- नहि - नहीं
- भारी - भारी
- एहि - इस
- अवसर - अवसर
- सप्रेम - सप्रेम
- सनेह - स्नेह
- निज - निज
- भाइ - भाई
- भोरि - भरकर
- नयनि - नेत्र
- जल - जल
- अति - अति
- शोक - शोक
- संजाइ - संजोया
- जय - जय
- रघुनायक - रघुनायक
- हरि - हरि
- हरि - हरि
- हिय - हृदय
- हरषि - हरषित
- भोरि - भरकर
- नयनि - नेत्र
- जल - जल
- अति - बहुत
- शोक - शोक
- संजाइ - संजोया
- बकनी - बोलना
- उठी - उठी
- मान - मन
- अनुपम - अनुपम
- कहि - कहकर
- गए - गए
- किनरि - कौशल्या
- तात - पुत्र
- नाहि - नहीं
- मोहि - मुझे
- कछु - कुछ
- दुखु - दुख
- नहि - नहीं
- भारी - भारी
- एहि - इस
- अवसर - अवसर
- सप्रेम - सप्रेम
- सनेह - स्नेह
- निज - निज
- भाइ - भाई
- भोरि - भरकर
- नयनि - नेत्र
- जल - जल
- अति - अति
- शोक - शोक
- संजाइ - संजोया
इंटरएक्टिव क्विज़ - तुलसीदास मास्टर
10 एमसीक्यू पूर्ण वाक्यों में; 80%+ लक्ष्य। कविताएँ, जीवनी, थीम कवर।
त्वरित रिवीजन नोट्स एवं मेमोनिक्स
| उपविषय | मुख्य बिंदु | उदाहरण | मेमोनिक्स/टिप्स |
|---|---|---|---|
| जीवनी |
|
रामचरितमानस। | 32-23 (जन्म-मृत्यु)। टिप: "वैराग्य राम"। |
| रामचरितमानस |
|
गकजसग [ksy। | BPMS (भाई-प्रेम-माता-शोक)। टिप: "खेल राम"। |
| विनय पत्रिका |
|
जय रघुनायक। | MBVS (माता-भक्ति-विनय-शोक)। टिप: "विनय कौशल्या"। |
| शब्दार्थ |
|
नयनि जल। | BKS (बकनी-किनरि-संजाइ)। टिप: "शब्द भाव"। |
समग्र टिप: पूर्ण स्कैन के लिए 32-23-BPMS उपयोग (5 मिनट)। फ्लैशकार्ड: सामने (शब्द), पीछे (बिंदु + मेमोनिक)। दीवार रिवीजन के लिए तालिका प्रिंट। 100% अध्याय कवर – परीक्षाओं के लिए आसान!
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